











- Brand: Pravasi Prem Publishing India
- Language: Hindi
- Weight: 400.00g
- Dimensions: 188.00mm x 240.00mm x 7.00mm
- Page Count: 126
- ISBN: 978-81-970511-3-5
दभारत की महान संत परंपरा में आचार्य श्री विद्यासागर जी का जीवन दर्शन पूरे विश्व को मार्गदर्शन प्रदान करता है । सम्यक मार्ग में हेतु प्रणीत, उनके प्रिय शिष्य मुनि श्री क्षमा सागर जी जैसे लोग अत्यंत विरल और समय चक्र में बहुत अंतराल से उत्पन्न होते हैं. इस शब्द का परिचय इसे जीने वाले के साथ रहकर ही समझा जा सकता है. इसका अर्थ अनुभूतिगम्य है. मुनि श्री क्षमा सागर जी को निकट से पहचानने वाले जन, उनके इस गुण से सदैव अचंभित और अभिभूत रहे. वह समर्पण एक अलग ही कोटि का रहा. उनके प्रवचनों में, उनके लेखन में, उनसे की गयी चर्चाओं में ऐसा लगता था जैसे उन्होंने गुरु महाराज का कोई चश्मा ही पहन रखा हो. सदैव उसी के लेंस से वे देखते थे .... बोलते थे. गुरु प्रसंग आने पर उनका वह गदगद भाव, कुछ अलग ही किस्म का हुआ करता था. रुँधा गला और सजल नेत्र उस समर्पण और श्रद्धा भाव को को प्रकट करने की चेष्टा करते सी करते जान पड़ते थे. गुरूजी के प्रति उनके मनोभावों को उनकी लेखनी ने भली प्रकार से व्यक्त करने का काम किया है. यह पुस्तक उनकी लेखनी की भावाव्यक्ति का संकलन है ।