









- Brand: Pravasi Prem Publishing India
- Language: Hindi
- Weight: 400.00g
- Dimensions: 188.00mm x 240.00mm x 7.00mm
- Page Count: 242
- ISBN: 978-81-969712-9-8
सावरकर ने अपने विचारों, और कार्यों के माध्यम से समाज सुधार के लिए अभियान चलाया. सावरकर जी एक ऐसा मंदिर करना चाहते थे जो सभी जातियों के लिए स्वतंत्र रूप से खुला हो.पतित पावन मंदिर सामाजिक सुधार के प्रति सावरकर जी की आजीवन प्रतिबद्धता का प्रतीक है. सावरकर जी अस्पृश्यता और जातिगत भेदभाव के विचार के सख्त खिलाफ थे.वे सनातन धर्म का अर्थ बताते हैं – “जब हम ‘सनातन’ शब्द को ‘धर्म’ से जोड़ते हैं, तो हम इसे उन सिद्धांतों और दर्शनों पर लागू करते हैं जो ईश्वर, व्यक्ति और सृष्टि (ईश्वर, जीव और सृष्टि) के बीच प्रकृति और पारिस्परिक संबंध को उजागर करते हैं. प्रथम सिद्धांत (आदिशक्ति) की प्रकृति के लिए, सृष्टि का प्रथम कारण और प्रथम नियम वास्तव में सनातन, शाश्वत हैं और समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं.। प्रस्तुत पुस्तक प्रमाणों सहित स्थापित करती है कि महाराष्ट्र के रूढ़िवादी समाज में वीर सावरकर ने किस तरह सामाजिक बदलाव के लिए काम किया । पृष्ठ – 242, रु-400.00, ISBN : 978-81-969712-9-8, भाषा : हिंदी