मानव समाज कुछ मूल्यों से संचालित होता है। हर दौर में समाज कुछ तय मूल्यों पर आधारित रहे हैं। ये मूल्य आम लोगों के सौहार्दपूर्ण सहअस्तित्व का सूत्र रहे हैं। बाद में कई मूल्यों ने ऐसी रुढ़ियों या परंपराओं का रूप ले लिया जिन्होंने समाज पर विपरीत असर डाला। संवैधानिक मूल्यों ने ऐसी विसंगतियों को दूर किया है। यह पुस्तक इन दोनों मूल्यों के जटिल और परस्पर निर्भरता वाले संबंधों को पारदर्शी ढंग से पाठकों के समक्ष रखती है।
पृष्ठ संख्या:114( रॉयल साइज़ ), मूल्य: 315 रुपये, ISBN- 978-81-969136-6-3
भाषा – हिंदी