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Kathaghare Mein Saansen : Bhopal Gas Traasadee Ke Chaar Dashak |कठघरे में सांसें :भोपाल गैस त्रासदी के चार दशक

Kathaghare Mein Saansen : Bhopal Gas Traasadee Ke Chaar Dashak |कठघरे में सांसें :भोपाल गैस त्रासदी के चार दशक
Kathaghare Mein Saansen : Bhopal Gas Traasadee Ke Chaar Dashak |कठघरे में सांसें :भोपाल गैस त्रासदी के चार दशक
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Kathaghare Mein Saansen : Bhopal Gas Traasadee Ke Chaar Dashak |कठघरे में सांसें :भोपाल गैस त्रासदी के चार दशक
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₹324.00
₹360.00
Ex Tax: ₹324.00
  • Brand: Pravasi Prem Publishing India
  • Language: Hindi
  • Weight: 400.00g
  • Dimensions: 188.00mm x 240.00mm x 7.00mm
  • Page Count: 216
  • ISBN: 978-81-981364-0-4

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भोपाल में 2/3 दिसंबर 1984 की रात,यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस रिसन का जो भयावह हादसा हुआ था ,उसके ज़ख्म आज चालीस साल बाद भी नहीं भरे हैं । और शायद ही कभी भरें । यह किताब उस काली रात से शुरू होकर इन चालीस सालों के दर्द की कहानी है । उस एक ‘त्रासदी’ में समाहित अनगिनत त्रासदियों की कहानी! एक ऐसे व्यक्ति की ज़ुबानी जो स्वयं गैस पीड़ित होने के साथ पीड़ितों के अधिकारों के लिए आंदोलनरत रहा और फिर उनके वकील के रूप में सुप्रीम कोर्ट तक, सीमित संसाधनों के बावजूद लड़ता रहा । हमारी ‘न्याय’ व्यवस्था की घोर असफलताओं का विश्लेषण करती यह किताब एक आंदोलन की जीवनी भी है और एक व्यक्तिगत संस्मरण भी ।

विभूति झा (जन्म: 1952,ग्राम बम्हनी बंजर, ज़िला मंडला, म–प्र–) इस समूची कहानी के सूत्रधार हैं । अपने गांव में ही स्कूली शिक्षा पूर्ण कर उन्होंने सागर विश्वविद्यालय से एम–ए– और एल–एल–बी– किया । तत्पश्चात जे–एन–यू– (नई दिल्ली) से समाज विज्ञान में शोधकार्य किया । 1979 में भोपाल में वकालत शुरू की । भोपाल गैस त्रासदी मामले में गैस पीड़ितों की ओर से किया गया उनका कार्य वकालत में मील का पत्थर माना गया । 2007 से वकालत और नगरीय समाज से दूर मध्यप्रेश के मंडला और अलीराजपुर ज़िलों के सुदूर गांवों में आदिवासियों के साथ निवास करते हुए ‘ग्रामसभा’ के माध्यम से सशक्तिकरण के लिए प्रयासरत ।

कठघरे में सांसें :भोपाल गैस त्रासदी के चार दशक | विभूति झा | पृष्ठ: 216 | मूल्य: ₹ 360.00 | ISBN: 978-81-981364-0-4
Kathaghare Mein Saansen : Bhopal Gas Traasadee Ke Chaar Dashak | Vibhuti Jha | Price: ₹ 360.00 | ISBN: 978-81-981364-0-4