
पुस्तक समीक्षा - मिस्टर मीडिया
भारत हमेशा ही अपनी संस्कृति, समृद्धि, ज्ञान, कला, और महापुरुषों के साथ-साथ यहाँ की बेबाक पत्रकारिता के लिए भी दुनिया भर में अपनी छाप छोड़ता आया है। लेकिन पिछले एक दशक में जिस तरह से भारत में पत्रकारिता का स्तर गिरता देखा गया वह चिंता का विषय तो है ही इसके साथ दुनिया भर में भारत की रुसवाइ का सबब भी है।
कुछ दिनों पहले की खबर है जब संसद के बाहर बड़े मीडिया संस्थानों के संवाददाता संसद की सुरक्षा में हुई चूक जैसे गंभीर विषय की रिपोर्टिंग करते समय एक पीले रंग की चीज़ जिसे वे स्मोक बम कह रहे थे को लेकर छीना-झपटी करते नज़र आए। इस तरह कि स्तरहीन रिपोर्टिंग अब आम बात लगती है। यहाँ एक और बात आम हो गई है वह है यूट्यूब बेस्ड मीडिया कर्मियों पर सत्ता पक्ष के लोगों द्वारा हमला करना, पिछले दिनों एक इसी तरह के मीडिया कर्मी का मामला सामने आया बात राय बरेली में हो रही गृह मंत्री की सभा की है जब एक यूट्यूब पत्रकार ने सभा में बैठी महिलाओं से कुछ सवाल किए और सवाल पूंछने की सज़ा में वहाँ मौजूद लोगों ने उन्हें इतना पीटा की उन्हें पास के अस्पताल में भरती करना पड़ा। इस तरह की सेंकड़ो घटनाएँ पिछले दस सालों में देखने-सुनने को मिलीं हैं।
राजेश बादल ने अपनी किताब “मिस्टर मीडिया” में इस तरह की सभी घटनाओं को विस्तार से बाताया है। मिस्टर मीडिया, दरअसल राजेश बादल द्वारा लिखे गए उन तमाम लेखों की श्रृंखला है जिसमें उन्होंने विस्तार से हर एक कारण को बताया है जिससे पत्रकारिता का स्तर दिन ब दिन गिरता रहा है और गिर रहा है साथ ही पत्रकारिता से जुड़े अन्य मुद्दों पर भी अपना पक्ष रखा है। जो पाठकों के साथ-साथ नए पत्रकारों या पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए जानना और समझना बेहद जरूरी है।
मिस्टर मीडिया, पत्रकारों, मीडिया संस्थानों, प्रेस क्लबों और संसद के साथ-साथ पाठकों और दर्शकों की भी बात करती है। फेक न्यूज़ और पेड न्यूज़ जिस तरह से आमजन को प्रभावित करती हैं और पत्रकारों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के लिए प्रेस क्लबों का जो रवय्या है उसके अलावा कैसे राज्य सभा और लोक सभा टीवी का विलय हुआ और इसके क्या परिणाम हुए ऐसे तमाम मुद्दों पर 160 लेखों में बारिकी से बात की गई है। संभवतः भारत का यह पहला स्तंभ है, जो डिज़िटल प्लेटफॉर्म पर इतने लंबे समय तक चला और अब “न्यूज़ व्यूज़ डॉट कॉम” पर बिना किसी दबाव के चल रहा है। यह पोर्टल विश्व का अकेला पोर्टल है, जो हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती और संस्कृत भाषाओं में है।
मिस्टर मीडिया, पत्रकारिता की भाषा पर भी बात करती है, जो कि एक गंभीर विषय है, किस तरह से कार्रवाई और कार्यवाही को एक दूसरे की जगह पर धड़ल्ले से इस्तमाल किया जा रहा है और इन शब्दों को कायदे से किस तरह इस्तमाल किया जाना चाहिए तथा अन्य शब्दों के गलत उच्चारण किस तरह से आम बात हो गई है, राजेश बादल ने बखूबी समझाया है।
जैसे -
पुलिस एक्शन यानी कार्रवाई और संसद प्रोसीडिंग कार्यवाही।
अख़बारों, रेडियो और टीवी में अक्सर हम सुनते हैं - केंद्रीय सुरक्षा मंत्री, केंद्रीय विदेश मंत्री और केंद्रीय रैल मंत्री जैसे कुछ अन्य विभाग। ध्यान दीजिए कि ये मंत्रालय तो सिर्फ़ केंद्र के तहत ही होते हैं।
सड़क दुर्घना के लिए कहा जाता है - दर्दनाक हादसे में पाँच लोग मारे गए। हादसा तो दर्दनाक ही होता है– यह समझने की ज़रूरत है।
संख्या के बारे में भी गलतियाँ होती हैं। जैसे एक दर्जन लोग घायल हो गए। गोया आदमी न हुए, केले हो गए।
इस तरह के कई उदाहरण किताब में मौजूद हैं।
मिस्टर मीडिया में राजेश बादल बताते हैं कि कैसे एक वक्त था जब पत्रकारों की ईमानदारी का देशभर में बोलबाला था, और पत्रकार सरकार से कड़े सवाल पूंछने में परहेज ना करते थे। राजेश बादल आपातकाल का भी ज़िक्र अपनी किताब मिस्टर मीडिया में करते हैं और बताते हैं किस तरह से देश के पत्रकारों ने सरकार का खुल कर विरोध किया।
मिस्टर मीडिया, पत्रकारों की हो रही हत्या पर भी बात करती है। कैसे 2017 में दस पत्रकारों की हत्या हुई इस तरह की तमाम खबरें सुनने और पढ़ने को मिली अफसोस मुख्यधारा की टीवी स्क्रीन और अख़बारों की कतरनों में इन खबरों को जगह नहीं दी गई। राजेश बादल बिहार प्रेस बिल और उसके बाद 1987 के प्रेस कानून का भी ज़िक्र अपनी किताब मिस्टर मीडिया में करते हैं।
जिस तरह से मिस्टर मीडिया में पत्रकारिता से जुड़े हर एक मुद्दे पर विस्तार से बात की गई है और जिस तरह से पत्रकारिता के मायने बदले हैं, बड़े मीडिया संस्थानों ने फेक न्यूज़ पर घंटो-घंटो के शो किए हैं बहसे की हैं ऐसे में मिस्टर मीडिया इस दौर के मीडिया के लिए आईना साबित हुई है जिसे सभी वर्ग और ख़ासतौर से पत्रकारिता से जुड़े लोगों को पढ़ना चाहिए।
पुस्तक विवरण -
नाम - मिस्टर मीडिया
लेखक - राजेश बादल
भूमिका - प्रकाश दुबे
प्रकाशक - प्रवासी प्रेम पब्लिशिंग इंडिया
प्रकाशन - 2024
पेज - 350
मूल्य - 650/- रुपये
समीक्षक - मौ वाजिद अली
ई-मेल - mohdwazidali18@gmail.com
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