आज जब इतिहास को तोड़ मरोड़ कर विकृत किया जा रहा है,उसे एक विचार विशेष के पक्ष में प्रयोग किया जा रहा है,कवि की एक जिम्मेदारी इतिहास को सही संदर्भों में प्रस्तुत करना भी हो गई है ।समकालीन कवियों में जो कवि इस भूमिका का सफलतापूर्वक निर्वाह कर रहे हैं उनमें बोधिसत्व का नाम प्रमुख है ।
उनकी नई किताब “अयोध्या में कालपुरुष “पिछले दिनों पढ़ता रहा ।कवि के अनुसार ये गाथा कविताएँ हैं ।इसी आलोक में इनसे गुज़रते हुए यह लगता रहा कि ये कविताएँ हमारे वर्तमान का चेहरा उद्घाटित कर रही हैं ।
दारा शुकोह का पुस्तकालय और औरंगज़ेब के आँसू इस संग्रह की एक ऐसी गाथा है जो मेरे उक्त कथन की पुष्टि करेगी ।
हर युग में
औरंगज़ेब के आँसू
औरंगज़ेब के लिये ढाल हैं ।
इसी तरह पंडित जगन्नाथ और फ़ारसी बोलने वाली लड़की का प्रेम इस संग्रह की एक और गाथा है जो हमें भावुक कर देती है ।
पहले अकेले पड़ गए कवि को प्रेम ने मारा
यह कैसा समाज है
जहाँ प्रेम ही हो जाता है हत्यारा
इसी क्रम में एक और गाथा जरासंध का उल्लेख करना चाहूँगा ।यह समसामयिक राजनीति के कई पहलुओं को खोलते हुए आगे बढ़ती है ।
जरासंध गुट मसल रहा है
हर विचार और नीति को अपने अखाड़े में
अयोध्या में कालपुरुष,अजात शत्रु जैसी कई गाथा कविताएँ इस संग्रह में ऐसी हैं जो एकाएक हमारे समय का वह चेहरा हमें दिखा जाती हैं जो हमसे छुपाया जा रहा है ।
बोधिसत्व के इस नए महत्त्वपूर्ण काव्यसंग्रह ने यह सिद्ध किया है कि इतिहास से कटकर समकालीन नहीं हुआ जा सकता है ।
इस संग्रह के लिए कवि को हार्दिक बधाई । 

  • प्रकाशक ‏ : ‎ Rajkamal Prakashan; First Edition (17 फरवरी 2024); Rajkamal Prakashan
  • भाषा ‏ : ‎ हिंदी
  • पेपरबैक ‏ : ‎ 160 पेज
  • ISBN-10 ‏ : ‎ 9360866016
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 978-9360866013