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Bharat Ka Kartvya Path “Ramrajye”

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  • भारत का कर्तव्य पथ : रामराज्य
  • लेखक- प्रयाग नारायण त्रिपाठी

राम का प्रेम तो सम्पूर्ण सृष्टि के प्राणियों पर है। परमात्मा तो समदर्शी है। परमात्मा विश्व का सबसे बड़ा रणनीतिकार है। होना भी चाहिए, क्योंकि उसको सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की समस्यायों का समाधान करना है। हम लोग तो अपने परिवार तक की समस्यायों के समाधान में कितने असहाय और दुखी हो जाते है। श्री राम को तो अपने राष्ट्र की समस्यायों के साथ-साथ सम्पूर्ण विश्व की समस्यायों का समाधान करना था। भविष्य की सम्पूर्ण रणनीति उनके दिमाग में थी। अतः उन्होंने भावी संकटों से जूझने के लिए भाई लक्ष्मण को ही बाल्यकाल से अपने मानस पटल पर बैठा लिया था। लक्ष्मण का राम के प्रति आदर, सम्मान, श्रद्धा और समर्पण का भाव सदैव चर्मोत्कर्ष पर रहा। रामराज्य में प्रकृति एवं पर्यावरण का संतुलन राजा और प्रजा के संयुक्त प्रयास से था। दोनों का परस्पर सहयोग स्नेह, सम्मान सौहार्द, विश्वास से ही समाज एवं राष्ट्र को स्वस्थ्य शिक्षित तथा सम्पन्न बनाया जा सकता है।