











- Brand: Pravasi Prem Publishing India
- Language: Hindi
- Weight: 400.00g
- Dimensions: 188.00mm x 240.00mm x 7.00mm
- Page Count: 112
- ISBN: 978-8197051111
आखिर ईसा मसीह को सलीब पर क्यों चढ़ना पड़ा? किस अपराध और किन लोगों के कारण उन्हें सूली हुई? ऐसे ही कई मोटे सवालों के बारीक से उत्तर इस नाटक में तलाशे गए हैं। लेखक कहते हैं, "अंधकूप में पड़ी पतनोन्मुखी जाति को एक डाकू चिंतक के मुकाबले सगा प्रतीत होता है... डाकू केवल अपने समकालीनों को आतंकित भर कर सकता है, जबकि चिंतक आने वाली पीढ़ियों को युगों-युगों तक उद्वेलित करता रहता है।"
लेखक के बारे में :
धर्मपाल अकेला (25 मार्च, 1937) देश के वरिष्ठतम साहित्यकारों में से एक हैं, जिन्होंने छह दशक तक लगभग सभी विधाओं में लिखा। दो शताब्दी पूर्व इनका परिवार कोंकण से आ कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ में बस गया था। विश्वविद्यालयी शिक्षा हापुड़ व मेरठ में ग्रहण करने के बाद सन 1962 में श्री अकेला का चयन रक्षा-लेखा सेवा में हो गया और वे सुदूर सीमांत भारत में यत्र-तत्र भ्रमण करते रहे।
देश को नजदीक से देखने के कारण ही उनके लेखन में पत्रकारिता की अन्वेषक दृष्टि और नवाचार दिखाई देता है। उन्होंने कविता, कहानी, यात्रा-संस्मरण, रेडियो-वार्ता, पुस्तक समीक्षाएं आदि प्रचुर मात्रा में लिखीं। कई पुस्तकों का संपादन किया। उनके खोजपरक निबंध खासे चर्चित रहे। हिंदी की सेवा के संकल्प के चलते श्री अकेला ने दो प्रकाशन संस्थान स्थापित किए और तमिल व रूसी रचनाओं के हिंदी अनुवाद प्रकाशित किए।
नाटक 'देखो यह पुरुष' को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा विशिष्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस नाटक का मंचन जब साहित्य कला परिषद, दिल्ली के युवा महोत्सव पर किया गया तो उसे व्यापक प्रशंसा मिली।
श्री अकेला के नाटक 'प्रजा ही विष्णु है' को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से 'भारतेंदु
पुरस्कार' मिला और इसका वाचन दिल्ली के श्रीराम सेंटर में हो चुका हैं। संपर्क: पुनर्नवा, प्रेमपुरा, हापुड़ 245101। स्वरदूत: 0122-2311393