











- Brand: Pravasi Prem Publishing India
- Language: Hindi
- Weight: 400.00g
- Dimensions: 188.00mm x 240.00mm x 7.00mm
- Page Count: 130
- ISBN: 978-8197051159
कोविड के भयावह दौर में जब लोगों की दैनंदिन दिनचर्या अचानक से ठप हो गई, प्राण सिसक रहे थे, सूरज अति ऊष्ण दिख रहा था, चंदा अपने आने के इंतजार में सुस्ताता सा लगता था। ऐसे में एक युवा कवि को लगा कि बगैर काम के ऐसे तो काहिल हो जाऊँगा में। कुछ रचनात्मक कार्य किया जाए, नहीं तो शरीर विश्राम करते-करते रोगमय हो जाएगा। ऐसे कब तक काम चलाएंगे? आज अगर ईश्वर ने कुछ पल दिए हैं तो उसे आगोश में भर लेना चाहिए और उसे महसूस करते हुए अपने आपको ऊर्जावान बनाकर रचनात्मकता की दुनिया में कुछ पल सैर कराना चाहिए। उसी दौर में लिखी गई ये रवनाएं हमें दर्द, भरोसा, भ्रम और आशा की मिली-जुली भावनाओं से रूबरू कराती हैं।
पुस्तक के बारे में :
इमरान सम्मलशाही (14 नवम्बर), बी.ए. (हिंदी, संस्कृत), एम.ए. (हिंदी साहित्य), बी.एड., पी.जी.डी. (ड्रामेटिक आर्ट्स एंड फिल्म स्टडीज), एम.पी.ए. (थिएटर एंड फिल्म) और यूजीसी नेट।
हिंदी काव्य संग्रह 'दीवार उस पार' प्रकाशित। पत्रिका 'साहित्यनामा' द्वारा आयोजित राष्ट्रीय काव्य लेखन प्रतियोगिता में गुजल के लिए 'क्रिएटर ऑफ वीक' व सर्टिफिकेट ऑफ एमिनेंस और 'उम्मीद' शीर्षक कविता के लिए 'सर्टिफिकेट ऑफ इमरजेंस' पुरस्कार से सम्मानित। ई-पत्रिका 'हिंदी काव्य कोश' द्वारा आयोजित राष्ट्रीय काव्य लेखन प्रतियोगिता में 'मीन हूँ अनभिज्ञ नहीं' विषय पर लेखन हेतु देशभर में तीन सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों की सूची में चयनित।
इलाहाबाद संग्रहालय, प्रयागराज द्वारा आयोजित वृत्तचित्र फिल्म निर्माण में 'गंगा' विषय के लिये द्वितीय पुरस्कार। वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय, जौनपुर द्वारा प्रदत्त प्रथम वामिक जौनपुरी सम्मान, 2021। साहित्यिक संस्था 'चाह वाह क्या बात है', विदिशा, मध्य प्रदेश 'हिंदी काव्य रत्न' सम्मान, 2022। 'लोक मीडिया शोच अकादमी' समाज सेवा सदन, भारत द्वारा आयोजित पाठ्यक्रम 'मीडिया लेखन' में A+1 ग्रेड, 20241
संपर्क : 89318556261 E-mail: imransambhalshahi@gmail.com
पृष्ठ 130, रु .240, ISBN : 978-8197051159, भाषा - हिंदी